2005 का नव वर्ष
पहले तो -
साँप
साँप होते थे
क्योंकि वे अपने में धरते थे विष
और वे कहलाते थे चक्षुश्रव भी
एवं
आदमी आदमी......
इसीलिए वे (साँप)
आँख से देखते थे
और
कान से सुनते थे
पर
और अब वे
आँखों से सुनने लग रहे हैं
फिर भी कामना है कि
2005 का यह नव वर्ष
आदमियों को चक्षुश्रव होने से बचाये
और
आदमी किसी तरह तो बना रहे
कम से कम
इस वर्ष तो आदमी.......
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